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किसानों का आंदोलन, जाम से जनता का बुरा हाल

किसानों का आंदोलन, जाम से जनता का बुरा हाल


किसानों का आंदोलन के चलते दिल्ली कूच को लेकर हुई अव्यवस्था के चलते 17 लाख लोगों को 5 घंटे जाम से जूझना पड़ा। काफ़ी लोगों की फ्लाइट व ट्रेन छूट गईं। एंबुलेंस में मरीज तड़पते रहे। गंतव्य तक पहुंचने में मशक्कत करनी पड़ी। लाखों लीटर ईंधन और समय बर्बाद हुआ। पुलिस का कहना है कि नोएडा और गाजियाबाद की सीमाओं से होकर हर रोज करीब 17 लाख से अधिक वाहन दिल्ली जाते हैं।

पुलिस का कहना है कि नोएडा और गाजियाबाद की सीमाओं से होकर हर रोज करीब 17 लाख से अधिक वाहन दिल्ली जाते हैं। किसानों के दिल्ली कूच के एलान के बाद दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग-9 की दोनों लेन को कंक्रीट की दीवार और कंटीले तारों की बाड़ बनाकर पूरी तरह बंद कर दिया है।

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर फ्लाईओवर के ऊपर दिल्ली जाने वाली लेन पर भी पुलिस तैनात है। सिर्फ एक लेन से वाहनों को जांच के बाद दिल्ली में प्रवेश दिया जा रहा है। मंगलवार को सुबह 8 से दोपहर 1 बजे तक भयंकर जाम लगा रहा।

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्ग-9 पर रात 8 बजे के बाद यातायात सामान्य हो गया। दिल्ली की ओर जाने वाली लेनों पर देर रात तक वाहनों की रफ्तार काफी धीमी रही। दिल्ली की सीमा के 5 किलोमीटर के दायरे में ट्रैफिक रेंगता रहा।

रोकने से गंभीर हुए हालात

भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों को पुलिस ने मंगलवार सुबह दुहाई में ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर रोक दिया। उन्होंने प्रदर्शन किया तो हिरासत में लिया गया। इस दौरान कई स्थानों पर यातायात बाधित रहा। वाहन चालकों को परेशानी से बचाने के लिए 80 से अधिक यातायात पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी।

बदलने लगा टिकैत बंधुओं का रुख

मेरठ। संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) के दिल्ली कूच से खुद को अलग रखने वाले भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) का भी रुख बदलने लगा है। मंगलवार को भाकियू के अध्यक्ष नरेश टिकैत और राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अभी भले ही वह इस कूच में शामिल नहीं हैं, लेकिन सभी किसान हैं और सबकी अपनी समस्याएं हैं। यदि दिल्ली जा रहे किसानों पर अत्याचार हुआ तो वह भी दिल्ली पहुंच जाएंगे। किसान और दिल्ली हमसे दूर नहीं है।