किसानों के लिए बिजली मुफ्त है या नहीं जाने क्या है माजरा
लखनऊ। किसानों के लिए मुफ्त बिजली की घोषणा को लेकर प्रदेश में अब भी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। निजी नलकूपों के लिए मुफ्त बिजली की सरकार की घोषणा पर भरोसा कर किसानों ने बिजली का बिल का जमा करना बंद कर दिया है, लेकिन इस संबंध में अब तक अधिकृत आदेश जारी न होने से बिजली वितरण कंपनियां उन पर लगातार विद्युत बिल वसूलने के लिए दबाव बना रही हैं।
सोमवार को विधानसभा में पेश बजट में भी निजी नलकूपों को रियायती दर पर बिजली मुहैया कराने की बात कहते हुए इस मद में 2400 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। बजट में मुफ्त की जगह रियायती शब्द के इस्तेमाल से संशय की स्थिति अब भी बरकरार है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान अपने संकल्प पत्र में प्रदेश के किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने की बात कही थी। वर्ष 2023-24 के बजट में इस बात को दोहराते हुए एक अप्रैल 2023 से मुफ्त बिजली का वादा किया था।
इस वादे पर अब तक अमल नहीं किया गया है, जिससे प्रदेश के 14 लाख से अधिक किसान भ्रमित हैं। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने प्रदेश सरकार से इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि सरकार व ऊर्जा मंत्री इस संदर्भ में स्पष्ट नीति जनता के सामने लाएं। कहा, पावर कारपोरेशन प्रबंधन से जब सवाल किया जाता है तो एक एक ही जवाब मिलता है कि इस मसले पर सरकार को निर्णय लेना है।
बजट घोषणा और अमली की कुछ ऐसी रही है स्थिति
वित्तीय वर्ष - बजट व्यवस्था - लागू व्यवस्था
वर्ष 2022-23 - 50 प्रतिशत छूट - 50 प्रतिशत छूट
वर्ष 2023 -24 - 100 प्रतिशत छूट - 50 प्रतिशत छूट
वर्ष 2024-25 - रियायत दर पर।