RLD और SP में भी रार... रालोद को सबसे अधिक खटकी सपा की ये बात
बिजनौर से रुचि वीरा व मुजफ्फरनगर से पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक को भी SP हैंडपंप के सिंबल पर लड़ाना चाहती थी। मेरठ की सीट पर भी सपा अपना प्रत्याशी रालोद को दे रही थी। जयन्त को खराब यह लगा कि जिस 19 जनवरी को अखिलेश ने उन्हें सीटों पर गठबंधन की बात करने के लिए लखनऊ बुलाया था उसी दिन उन्होंने पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक को भी बुला लिया।
लखनऊ। रालोद अध्यक्ष जयन्त चौधरी का SP से मोह भंग हो गया है, वे अब BJP में जा रहे हैं। रालोद की नाराजगी की मुख्य वजह सपा की मनमानी बताई जा रही है। सपा ने रालोद को सात सीटें देने की घोषणा तो की थी किंतु इनमें से चार सीटों पर वह अपने प्रत्याशी दे रही थी। 'प्रत्याशी हमारा सिंबल तुम्हारा' वाली सपा की नीति ही रालोद को सबसे अधिक खटकी, क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में भी सपा ने रालोद के ऊपर अपने प्रत्याशी थोपे थे।
सपा रालोद गठबंधनSP के साथ रालोद गठबंधन की घोषणा 19 जनवरी को ही सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इंटरनेट मीडिया एक्स पर कर दी थी। सपा ने रालोद को सात सीटें दी थीं। इनमें मेरठ, कैराना, मुजफ्फरनगर, बागपत, मथुरा, हाथरस थीं। बिजनौर व अमरोहा में से एक सीट और रालोद को मिलनी थी।
सूत्रों के अनुसार इनमें से चार सीटें कैराना, बिजनौर, मुजफ्फरनगर व मेरठ के लिए अपने प्रत्याशियों की सूची भी सपा ने जयन्त को थमा दी थी। सपा कैराना से पूर्व सांसद रहे मुन्नवर हसन की बेटी व शामली के तीन बार के विधायक नाहिद हसन की बहन इकरा हसन को लड़ाना चाहती थी।
हरेंद्र के नाम पर जयन्त तैयार नहींबिजनौर से रुचि वीरा व मुजफ्फरनगर से पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक को भी SP हैंडपंप के सिंबल पर लड़ाना चाहती थी। मेरठ की सीट पर भी सपा अपना प्रत्याशी रालोद को दे रही थी। जयन्त को सबसे खराब यह लगा कि जिस 19 जनवरी को अखिलेश ने उन्हें सीटों पर गठबंधन की बात करने के लिए लखनऊ बुलाया था उसी दिन उन्होंने पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक को भी बुला लिया था। उन्हें मुजफ्फरनगर सीट दिए जाने के बारे में भी बता दिया था। इस सीट पर हरेंद्र के नाम पर जयन्त तैयार नहीं थे।
विधानसभा चुनाव में भी थोपे थे प्रत्याशीSP अध्यक्ष ने अपनी पार्टी के एक और नेता को रालोद को दी गई सीट पर प्रत्याशी के तौर पर तैयारी करने के लिए कह दिया था। इससे पहले भी वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में मथुरा की मांट विधानसभा सीट को लेकर भी सपा व रालोद में गांठ पड़ी थी। रालोद ने यहां से योगेश नौहवार को प्रत्याशी बनाया था किंतु बाद में अखिलेश यादव ने अपने करीबी संजय लाठर को यही से टिकट दे दिया था। सपा ने दबाव बनाकर रालोद प्रत्याशी को बैठा दिया था। यह बात भी जयन्त को अप्रिय लगी थी। पहले से भरे बैठे रालोद अध्यक्ष की इधर भाजपा से बातचीत के बाद अब समीकरण बदल गए हैं। इस वजह से छह वर्ष पुरानी दोस्ती अब टूटने जा रही है।