यूपी-बिहार समेत छह राज्यों के गृह सचिवों पर क्यों हुआ एक्शन
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सोमवार को जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की वो मौजूदा समय में गृह सचिव के साथ मुख्यमंत्री सचिवालय में भी तैनात थे। साथ ही पश्चिम बंगाल के DGP को लगातार 3 बार चुनाव से हटाया है। मुख्यमंत्री सचिवालय से जुड़े मिजोरम और हिमाचल प्रदेश के सचिव सामान्य प्रशासन के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है।
आयोग ने इसके साथ ही मुख्यमंत्री सचिवालय से जुड़े हिमाचल प्रदेश और मिजोरम के सामान्य प्रशासन विभाग ( GAD) के सचिव को भी उनके पद से हटा दिया है। वहीं जिन 6 राज्यों के गृह सचिवों को हटाया गया है, उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार व उत्तराखंड के साथ गुजरात, झारखंड और हिमाचल प्रदेश भी शामिल है।
आयोग की ओर से बड़े स्तर पर की गई इस कार्रवाई ने सभी राज्यों के प्रशासनिक हल्कों में खलबली मचा दी है। आयोग ने इस दौरान पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कुमार के खिलाफ फिर बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें लगातार 3 बार चुनाव से पहले पद से हटाया दिया है। इससे पहले 2016 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी उन्हें पद से हटा दिया गया था। आयोग ने इसके साथ ही पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को DGP पद के लिए 3 वरिष्ठ IPS अधिकारियों का एक पैनल मुहैया कराने के निर्देश दिए है।
3 साल से ज्यादा समय से एक ही जगह जमे कमिश्नर
आयोग ने इस दौरान 3 साल से अधिक समय से एक जगह पर जमें बृहन्मुंबई महानगरपालिका निगम (BMC) के कमिश्नर, एडिशनल कमिश्नर व डिप्टी कमिश्नर को भी हटाने के निर्देश दिए है। आयोग ने इस दौरान साफ किया है कि चुनाव में वह सभी राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को एक लेवल प्लेइंग फील्ड मुहैया कराने के अपने लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्ध है। जहां भी उन्हें गड़बड़ी दिखेगी वह उससे सख्ती से निपटेंगे।
मुख्यमंत्री सचिवालय के साथ भी जुड़े हुए थे अधिकारी
चुनाव आयोग ने यह कार्रवाई सोमवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार व सुखबीर सिंह संधू के साथ चुनावी तैयारी की समीक्षा करने के बाद की है। जिसमें पाया गया कि कई राज्यों में गृह सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव अपनी इस जिम्मेदारी के साथ मुख्यमंत्री सचिवालय के साथ भी जुड़े हुए है। ऐसे में यह चुनाव में किसी पार्टी को फायदा पहुंचा सकते है। गृह सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव का पद वैसे भी राज्य में काफी अहम माना जाता है। चुनाव के दौरान अधिकारियों और सुरक्षा बलों की तैनाती की जिम्मा इन्हीं के कंधों पर रहता है।
गौरतलब है कि चुनाव की घोषणा के पहले ही आयोग सभी राज्यों व संघ शासित प्रदेशों को 3 साल से एक ही जगह पर जमे ऐसे सभी अधिकारियों को हटाने के दिए थे। साथ कहा था कि इन दौरान भी ध्यान में रखा जाए कि उनके तबादलों के नाम पर खानापूर्ति न की जाए। यानी एक लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले दूसरे जिलों में उन्हें भूलकर भी तैनाती न दी जाए।