गृह मंत्रालय ने कहा, सीएए से भारतीय मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं
CAA Implementation In India गृह मंत्रालय ने CAA के संबंध में मुसलमानों और छात्रों के एक वर्ग के डर को दूर करने की कोशिश करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि इस अधिनियम के बाद किसी भी भारतीय नागरिक को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज पेश करने के लिए नहीं कहा जाएगा।
गृह मंत्रालय ने CAA के संबंध में मुसलमानों और छात्रों के एक वर्ग के डर को दूर करने की कोशिश करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि इस अधिनियम के बाद किसी भी भारतीय नागरिक को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज पेश करने के लिए नहीं कहा जाएगा। गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा- ' पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के कारण दुनियाभर में इस्लाम का नाम बुरी तरह से बदनाम हो गया है।
गृह मंत्रालय ने बताई कानून की आवश्यकता
हालांकि, इस्लाम एक शांतिपूर्ण धर्म है जो कभी भी धर्म के आधार पर नफरत या हिंसा का प्रचार या सुझाव नहीं देता है।'' इसमें कहा गया कि यह अधिनियम इस्लाम को उत्पीड़न के नाम पर कलंकित होने से बचाता है। कानून की आवश्यकता बताते हुए गृह मंत्रालय ने कहा कि भारत का अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ प्रवासियों को इन देशों में वापस भेजने के लिए कोई समझौता नहीं हुआ है। इसमें कहा गया है कि यह नागरिकता अधिनियम अवैध अप्रवासियों के निर्वासन से संबंधित नहीं है। इसलिए मुसलमानों और छात्रों सहित इस समुदाय के एक वर्ग की यह चिंता कि सीएए मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ है, अनुचित है।
दुनिया में कहीं से भी मुसलमानों को भारतीय नागरिकता लेने पर कोई रोक नहीं
मंत्रालय ने कहा कि नागरिकता अधिनियम के अनुच्छेद-छह के तहत दुनिया में कहीं से भी मुसलमानों को भारतीय नागरिकता लेने पर कोई रोक नहीं है, मूल रूप से नागरिकता से संबंधित है। बयान में कहा गया है कि भारतीय मुसलमानों के सभी अधिकार बरकरार रहेंगे। अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर जिन्हें प्रताडि़त किया गया था, CAA उनके लिए लाया गया है।