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 बिजनेस फ्रेंडली गवर्नेंस से उद्योग प्रदेश बन रहा यूपी

बिजनेस फ्रेंडली गवर्नेंस से उद्योग प्रदेश बन रहा यूपी


- सीएम ने बदली यूपी की कार्य संस्कृति, बदल गये प्रदेश के हालात

- 'उलटा प्रदेश' से 'उद्योग प्रदेश' बनाने में बिजनेस फ्रेंडली गवर्नेंस ने निभाई बड़ी भूमिका 

- योगी सरकार ने उद्योगों के लिए तैयार कराई 25 से ज्यादा सेक्टोरियल पॉलिसी

- एफडीआई के लिए अलग पॉलिसी और 46 हजार एकड़ लैंडबैंक योगी सरकार की बड़ी उपलब्धि

- 41 विभागों की 481 लाइसेंस सेवाओं के लिए सिंगल विंडो सिस्टम ने उद्योग जगत की बदली राय 

- 4500 से अधिक कंप्लायंसेज का न्यूनिकरण, 577 से अधिक कंप्लायंस को किय गया खत्म 


लखनऊ, 01 मार्च। सात-आठ साल पहले कोई यकीन भी नहीं कर सकता था कि यूपी एक दिन 'उलटा प्रदेश' की तोहमत से बाहर आकर 'उद्योग प्रदेश' जैसे अलंकरण से नवाजा जाने लगेगा। उत्तर प्रदेश आज विकास के नित नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। फिर चाहे बात इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की हो, यातायात कनेक्टिविटी की हो, विद्युत व्यवस्था, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य या शिक्षा। हर सेक्टर में प्रदेश बुलंदियों की ओर तेजी से बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशानिर्देशन और सतत मॉनीटिरिंग का नतीजा है कि उत्तर प्रदेश के इतिहास में पहली बार एक ही दिन में 10 लाख 24 हजार करोड़ रुपए के निवेश को विभिन्न उद्योगों के जरिए धरातल पर उतारा गया। जो प्रदेश कभी उद्यमियों के मन में खौफ पैदा कर देता था आज वह बिजनेस फ्रेंडली स्टेट के रूप में विकसित हो चुका है। हर स्तर पर कार्य संस्कृति में व्यापक बदलाव कर के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने असंभव से लगने वाले लक्ष्य को आखिरकार संभव बना दिया है। 


योगी सरकार ने मील का पत्थर स्थापित कर दिया

प्रदेश की कमान संभालने के बाद कानून व्यवस्था को सुदृढ़ और पटरी पर लाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथन ने पहले दिन से ही मिशन मोड में कार्य करना शुरू कर दिया था। प्रदेश के नौजवानों को हर हाल में रोजगार से जोड़ने की सीएम योगी की चाह ने बड़े स्तर पर उद्योगों को स्थापित करने की राह भी दिखाई। प्रदेश में 25 से ज्यादा सेक्टोरियल पॉलिसी, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने के लिए अलग से पॉलिसी, प्रदेश में एक्सप्रेसवे का तेजी से विकास और इनके किनारे पर 46 हजार एकड़ का लैंड बैंक बनाकर योगी सरकार ने मील का पत्थर स्थापित कर दिया है। 


577 से अधिक कंप्लायंसेज को समाप्त किया

उद्योगों के लिए बेहतर वातावरण बनाने के लिए योगी सरकार ने न केवल 41 विभागों के 481 लाइसेंस सेवाओं को सिंगल विंडो सिस्टम के तहत ला दिया है, बल्कि 13 लाख से अधिक लाइसेंस अप्लीकेशन्स को भी 97 प्रतिशत डिस्पोजल रेट से निस्तारित करके नया रिकॉर्ड कायम किया है। यही नहीं बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान (बीएआरपी) के अंतर्गत एक हजार से अधिक यूनिक रिफॉर्म भी पहली बार योगी सरकार में ही संभव हो सका है। इसके अलावा 200 से अधिक सेवाओं में तय समय में एनओसी प्रदान करने की व्यवस्था हो या लगभग 4500 से अधिक कंप्लायंसेज का न्यूनिकरण अथवा 577 से अधिक कंप्लायंसेज को समाप्त किया जाना हो, योगी सरकार ने उद्योगों की राह में आने वाले एक एक रोड़े को दुरुस्त कराते हुए प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का माहौल स्थापित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। 


योगी सरकार की छवि पॉलिसी बेस्ड गवर्नेंस की

इसके साथ प्रदेश आज भारत के टॉप 5 मैन्यूफैक्चरिंग स्टेट में शामिल हो चुका है, जिसके पास 86 लाख से अधिक एमएसएमई का विशाल क्लस्टर है, जोकि भारत में किसी भी राज्य की तुलना में सर्वाधिक है। साथ साथ ही की इकोनॉमिक जोन और एक्सप्रेसवे एवं कॉरीडोर्स के पास योगी सरकार ने 46 हजार एकड़ से अधिक लैंडबैंक तैयार करके बड़े औद्योगिक अवसरों को आकर्षित करना शुरू कर दिया है। यही नहीं आज देश और दुनिया के उद्योग जगत के सामने योगी सरकार की छवि पॉलिसी बेस्ड गवर्नेंस की बन चुकी है, जिसके पास उद्योगों के लिए 25 से अधिक सेक्टोरियल पॉलिसी हैं, साथ ही साथ प्रत्यक्ष विदेश निवेश के लिए भी अलग से नीति भी सरकार की बड़ी उपलब्धियों में शुमार है। 


उद्योगों को आकर्षित कर रहा विशाल उपभोक्त बाजार

उत्तर प्रदेश 10 लाख से अधिक आबादी वाले सात शहर और 5 लाख से अधिक आबादी वाले पांच शहरों वाला बड़ा राज्य है, जिसकी 56 प्रतिशत आबादी कामकाजी है। प्रदेश 250 मिलियन की आबादी और तकरीबन 425 मिलियन के आस पड़ोस के राज्यों की जनसंख्या के साथ विशाल कंज्यूमर बेस रखता है। उत्तर प्रदेश में उद्योग-व्यापार करने वालों को इतना विशाल उपभोक्त बाजार भी आकर्षित कर रहा है।