अमेठी के बाद रायबरेली जीतने की तैयारी में भाजपा,जानें क्या है रणनीति
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर में कांग्रेस का आखिरी किले को ढहाने की रणनीति बना ली है।भाजपा अमेठी के बाद अब कांग्रेस को रायबरेली में पराजित करना चाहती है।इसको लेकर भाजपा ने बड़ी रणनीति बनाई है।इसी रणनीति के तहत भाजपा ने अब तक रायबरेली में अपना पत्ता नही खोला है। भाजपा कांग्रेस प्रत्याशी का इंतजार कर रही है।जब कांग्रेस रायबरेली से अपना प्रत्याशी उतार देगी उसके बाद भाजपा अपना प्रत्याशी उतार देगी।गांधी परिवार से कोई प्रत्याशी होगा तो उसके हिसाब से भाजपा प्रत्याशी उतारेगी।अगर गांधी परिवार से बाहर का कोई प्रत्याशी होगा तो उसके हिसाब से भाजपा प्रत्याशी उतारेगी।
अमेठी के बाद रायबरेली में गांधी परिवार के गढ़ को नेस्तनाबूत करने के लिए भाजपा ने मजबूत रणनीति बनाई है। पिछले लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को अमेठी से पराजित कर सबको चौंकाते हुए गांधी परिवार को बड़ा झटका दिया था।अब रायबरेली में भी भाजपा ने कांग्रेस को पराजित करने के लिए बड़ी रणनीति बनाई है।
सूत्रों के अनुसार रायबरेली से भाजपा ने चार नेताओं के नाम पर काफी चर्चा की है।इनमें मनोज पांडे, दिनेश शर्मा, अदिति सिंह और दिनेश प्रताप सिंह का नाम शामिल हैं।रायबरेली से कांग्रेस अगर गांधी परिवार से बाहर का प्रत्याशी उतारती है तो मनोज पांडे मजबूत दावेदार हैं।अगर प्रियंका या राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा यूपी के पूर्व उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा या अदिति सिंह को प्रत्याशी घोषित कर सकती है।प्रियंका के सामने मजबूत महिला प्रत्याशी देने पर भी भाजपा ने विचार किया है।उसके लिए रायबरेली से अदिति सिंह के नाम पर भी मजबूती से चर्चा हुई है।अदिति सिंह के को लेकर यूपी के एक बड़े नेता ने भाजपा आलाकमान से सिफारिश भी की है।
सोशल मीडिया पर वरुण गांधी को लेकर भी चर्चा चल रही है कि भाजपा उनको रायबरेली से लड़ाने पर विचार किया है। हालांकि उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक भाजपा वरुण गांधी से काफी नाराज़ है। भाजपा नेताओ के मुताबिक वरुण को पार्टी ने बहुत कुछ दिया। सबसे कम उम्र में पार्टी का महासचिव तक बना दिया, लेकिन वरुण गांधी ने कई मौकों पर पार्टी को असहज स्तिथि में लाकर खड़ा कर दिया था।सूत्रों की मानें तो भाजपा वरुण गांधी को चुनाव लड़ाना तो दूर उनसे पार्टी के लिए प्रचार तक कराने को तैयार नहीं है।यही वजह है कि वरुण गांधी न पीलीभीत में भाजपा के चुनाव प्रचार में दिख रहे हैं और न अपनी मां मेनका गांधी के लिए चुनाव प्रचार करते हुए नजर रहे हैं।