कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड के साइड इफेक्ट का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट दायर हुई याचिका में जांच के लिए पैनल बनाने की मांग
वकील विशाल तिवारी की ओर से दायर हुई याचिका: द हिन्दू की रिपोर्ट में दावा।
फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा इस बात को स्वीकार करने की रिपोर्ट के बाद कि उसका कोविशील्ड वैक्सीन दुर्लभ दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है, एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उक्त वैक्सीन के दुष्प्रभावों और जोखिम कारकों की जांच करने के साथ-साथ उनके मुआवजे के लिए मेडिकल एक्सपर्ट पैनल के गठन की मांग की, जो वैक्सीनेशन अभियान के कारण गंभीर रूप से अक्षम हो गए या मर गए।
यह याचिका वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई, जिसमें एस्ट्राजेनेका की इस स्वीकारोक्ति पर प्रकाश डाला गया कि उसका COVID-19 के खिलाफ AZD1222 वैक्सीन (भारत में लाइसेंस प्राप्त और कोविशील्ड के रूप में बेचा जाता है) कम प्लेटलेट काउंट और "बहुत दुर्लभ" मामलों में रक्त के थक्कों के गठन का कारण बन सकता है।
याचिका में कहा गया,
"एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन और थ्रोम्बोसिस के बीच थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के साथ संबंध को स्वीकार किया, जो असामान्य रूप से प्लेटलेट्स के घटने और खून के थक्कों बनने की विशेषता वाली मेडिकल स्थिति है।"
तिवारी कहते हैं कि इस फॉर्मूले को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को लाइसेंस दिया गया और देश में 175 करोड़ से अधिक कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई। उन्होंने कहा कि COVID-19 महामारी के बाद से दिल का दौरा पड़ने और व्यक्तियों की अचानक मृत्यु के कारण होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि हुई है।