अमेठी-रायबरेली पर असमंजस में कांग्रेस, इन सीटों पर भी बढ़ी बेचैनी
लखनऊ। Lok Sabha Election 2024 के लिए कांग्रेस की ओर से जारी प्रत्याशियों की नौ सूची में अब तक रायबरेली और अमेठी से उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया गया है। गांधी परिवार की इन दोनों परंपरागत सीटों पर असमंजस की स्थिति बरकरार है। सबके मन में एक ही सवाल है कि राहुल और प्रियंका इन सीटों से लड़ेंगे या नहीं।
रायबरेली की 'एकमात्र' सीट ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेसियों के मनोबल का आसरा भी है। अन्य सीटों पर अपनी हार-जीत की चिंता छोड़कर फिलवक्त कार्यकर्ताओं के दिमाग में एक ही सवाल कौंध रहा है कि अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से प्रियंका वाड्रा चुनाव मैदान में होंगे या नहीं। केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय पर टिकी उनकी निगाहों में सारी उम्मीदें 'नेहरू-गांधी' परिवार से ही हैं।
नहीं लगी अंतिम मुहर
सपा-कांग्रेस के बीच 21 फरवरी को गठबंधन की घोषणा हुई थी। एक माह से अधिक समय बीतने के बाद भी कांग्रेस अब तक अपनी परंपरागत सीट अमेठी व रायबरेली के अलावा उसके हिस्से आई मथुरा और प्रयागराग सीट पर उम्मीदवारों के नाम पर अंतिम मुहर नहीं लगा सकी है।
कांग्रेस नेता स्वीकारते हैं कि इस अनिर्णय का सीधा असर उसके कार्यकर्ताओं के मनोबल पर पड़ रहा है। संगठन व पदाधिकारी अमेठी से राहुल गांधी व रायबरेली से प्रियंका वाड्रा के चुनाव मैदान में उतरने की हर कार्यकर्ता की मांग को केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा चुके हैं।
प्रियंका को लड़ाने की मांग
सोनिया गांधी के रायबरेली की सीट छोड़ने के बाद उत्तर प्रदेश की प्रभारी रह चुकीं प्रियंका को ही सबसे मुफीद उम्मीदवार माना जा रहा है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि प्रियंका इस सीट से अपनी दादी इंदिरा गांधी और मां सोनिया गांधी की विरासत संभालेंगी तो कार्यकर्ताओं को संजीवनी जरूर मिलेगी।
इसकी मांग लखनऊ में बीते दिनों हुए प्रदेश स्तरीय प्रशिक्षण शिविर में भी उठी, जहां प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय व प्रदेश अध्यक्ष अजय राय से मिलने वाले हर पदाधिकारी ने अपने जिले के कार्यकर्ता की जो 'चिट्ठी' बांची, उसका मजमून एक ही था कि .... 'अमेठी से राहुल भैया और रायबरेली से प्रियंका दीदी को ही चुनाव लड़ने के लिए किसी भी तरह मनाइए'।
दो सीटें देती हैं संदेश
एक नेता इसके पीछे बड़ा तर्क भी देते हैं। बेबाकी से कहते हैं कि ... इसमें कोई संदेह नहीं कि कांग्रेस के हिस्से आई सीटों पर पार्टी के पास अपने चेहरों का टोटा है। तभी तो ज्यादातर सीटों पर दूसरे दलों से आए नेताओं को मौका देना पड़ रहा है। फिर 'दो सीटें' ही तो देश में उप्र कांग्रेस का संदेश देती आई हैं।
पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में यह चर्चा भी जोरशोर से सुनाई पड़ती है कि कार्यकर्ताओं की भावना का आदर न हुआ तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान जागा जोश, चुनाव से पहले ही ठंडा भी पड़ जाएगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी के वायनाड सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद इस सीट पर किसी अन्य उम्मीदवार को लेकर भी भीतरखाने मंथन चल रहा है।