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हाथरस में हुई भगदड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है।

हाथरस में हुई भगदड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है।



याचिका में 5 सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी से सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की निगरानी में जांच कराने की गुहार लगाई गई है।

इस घटना पर यूपी सरकार से स्टेटस रिपोर्ट की मांग की गई है। यानी अब तक किए गए उपायों और भविष्य में बरते जाने वाले एहतियातों की जानकारी देने की बात कही गई है।

कार्यक्रम आयोजकों के विरुद्ध होगा मुकदमा, बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है हाथरस जिला प्रसाशन। हाथरस भगदड़ मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। एक जनहित याचिका दाखिल हुई है जिसमें कहा गया है कि सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह दो जुलाई की हाथरस भगदड़ की घटना की जांच के लिए तत्काल सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश की निगरानी में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित करे।
दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई

जनहित याचिका में यह भी मांग की गई है कि जन सुरक्षा के हितों को देखते हुए भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों इसके लिए समिति दिशा निर्देश तय करने के सुझाव दे। उत्तर प्रदेश सरकार को हाथरस भगदड़ की स्थिति रिपोर्ट दाखिल का निर्देश दिया जाए साथ ही पूछा जाए कि लापरवाही के दोषियों के खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई की गई है।
भगदड़ रोकने के लिए दिशा निर्देश

उत्तर प्रदेश के हाथरस में दो जुलाई को सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों अन्य घायल हुए थे। सुप्रीम कोर्ट में वकील विशाल तिवारी ने यह जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में यह भी मांग की गई है कि सभी राज्यों को निर्देश दिया जाए कि लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए धार्मिक व अन्य आयोजनों पर भगदड़ रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी करें।

पहले की घटनाओं से नहीं लिया सबक

राज्य सरकारें स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर बताएं कि भगदड़ की घटनाओं से निपटने के लिए जिला, ब्लॉक और तहसील स्तर पर क्या चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। दाखिल याचिका में पूर्व की भीड़भाड़ वाली जगहों पर हुई भगदड़ की घटनाओं और उसमें हुई मौतें का भी जिक्र किया गया है। याचिका में कहा गया है कि पूर्व में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं लेकिन हमने उनसे कोई सबक नहीं लिया।

आयोजकों और प्रशासन पर भी उसे सवाल

देश के लोगों की धर्म में गहरी आस्था है और ऐसे में धार्मिक समागम में भारी संख्या में लोग जुटते हैं। लेकिन आयोजकों और प्रशासन द्वारा पर्याप्त सुरक्षा न किये जाने पर बड़ी संख्या में लोग खतरे में हैं। याचिका में दो जुलाई की हाथरस की भगदड़ की घटना का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि यह लोगों की सुरक्षा से जुड़ा महत्वपूर्ण मामला है और कोर्ट को इसमें दखल देना चाहिए।

सरकारी तंत्र की लापरवाही

याचिकाकर्ता का कहना है कि भीड़भाड़ वाली जगह प्रशासनिक तौर पर उचित प्रबंधन करना सरकार की जिम्मेदारी है। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में सत्संग के लिए काफी संख्या में भक्त एकत्र होते हैं। कई बार तो वहां आपात स्थिति में प्रवेश द्वार और बाहर निकलने के द्वार भी ठीक से चिन्हित नहीं होते।

सत्संग के दौरान भगदड़ मे 122 से अधिक लोगों की मौत। मरने वालों की संख्या अभी और बढ़ सकती है।सत्संग में हजारों लोग जुटे थे, महिलाएं,बच्चे ज्यादा थे। अनेक है घायल।

जहां सत्संग हो रहा वहां सिर्फ एक डॉक्टर तैनात था।:

मृतकों को 2-2 लाख तथा घायलों को 50-50 हजार की आर्थिक सहायता देने के मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश