-->
 नोएडा - बिल्डर कंपनियों के दिवालिया होने का सिलसिला जारी

नोएडा - बिल्डर कंपनियों के दिवालिया होने का सिलसिला जारी


बिल्डरों के ग्रुप हाउसिंग की 25 परियोजना NCLT पहुंची।

दिवालिया होने पर नोएडा प्राधिकरण के 10 हजार करोड़ फंसे।

हजारों बायर्स को 10 साल बाद भी नहीं मिला आशियाना।

बैंकों का बकाया न देने वाली कम्पनियां NCLT पहुंचीं।

सुपरटेक लिमिटेड पर 761 करोड़ रुपए का बकाया।

अजनारा इंडिया लिमिटेड पर 93 करोड़ का बकाया।

ग्रेनाइट गेट प्रॉपर्टीज कंपनी पर 860 करोड़ बकाया।

लॉजिक सिटी डेवलपर्स पर 607 करोड़ का बकाया।

3 सी प्रोजेक्ट्स पर 862 करोड़ रुपए का बकाया है।

हैसिंडा प्रोजेक्ट्स पर 134 करोड़ रुपए का बकाया।


10 साल से बायर्स का इंतजार

 नोएडा।  जानकारी के अनुसार, इन ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं में हजारों खरीदार शामिल हैं, जिन्होंने पिछले 10 साल से अपना आशियाना पाने का इंतजार किया है। इस लंबी अवधि के दौरान, बिल्डर कंपनियां न केवल बैंकों के करोड़ों रुपये के कर्ज से जूझ रही हैं, बल्कि वे अपने खरीदारों की रकम लौटाने की भी स्थिति में नहीं हैं। इसके चलते, प्रभावित हाउसिंग सोसाइटीज के लोग न तो अपने फ्लैट प्राप्त कर पा रहे हैं और न ही अपनी निवेश की गई रकम वापस पाने की उम्मीद कर सकते हैं।

दिवाला प्रक्रिया की जटिलता

एनसीएलटी में दिवाला समाधान की औसत अवधि वर्तमान में 667 दिन है। दिवालियेपन की कार्रवाई होने के बाद, एनसीएलटी कंपनी की परिसंपत्तियों को छह माह तक निपटाने से रोक देता है। इस दौरान, एनसीएलटी उचित कार्रवाई का मूल्यांकन और निर्णय करता है, जिसमें कंपनी का पुनर्गठन, ऋणों का समाधान और परिसंपत्तियों का परिसमापन शामिल होता है। ऐसे में, प्रभावित खरीदारों को निराशा का सामना करना पड़ रहा है, जबकि बिल्डर कंपनियों का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है।

उम्मीद का किनारा


हालांकि, सरकार और प्राधिकरण को इस गंभीर स्थिति का समाधान निकालने की आवश्यकता है ताकि प्रभावित बायर्स को जल्द से जल्द उनके हक की संपत्तियां मिल सकें और इस आर्थिक संकट से उबरने में मदद मिल सके।