उत्तर प्रदेश में एम सैण्ड नीति लागू, विकास व निर्माण कार्यों में आयेगी गति
नदी से प्राप्त बालू की तुलना में एम सैण्ड से बने मोर्टार में कम्प्रेसिव स्ट्रेंथ होती है अधिक
लखनऊ,17 अक्टूबर 2024। निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग उत्तर प्रदेश श्रीमती माला श्रीवास्तव ने बताया कि सरकार का मन्शा और उपभोक्ताओं की सुविधा, सरलता व सुलभता के दृष्टिगत बहुप्रतीक्षित उत्तर प्रदेश में एम सैण्ड नीति -2024 लागू की गयी है। श्रीमती माला श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में विकास व निर्माण कार्यों को गति देने हेतु नदी तल में पाये जाने वाले बालू के विकल्प के रूप में एम सैण्ड (Manufactured Sand) अर्थात् कृत्रिम बालू के उत्पादन को प्रोत्साहित करने हेतु भूतत्व एंव खनिकर्म अनुभाग, उ०प्र० शासन द्वारा "उ०प्र० एम सैण्ड नीति-2024" प्रख्यापित की गयी है।और उम्मीद की जा रही है कि इस नीति के प्रख्यापन व क्रियान्वयन होने से उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने में उत्तर प्रदेश भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग का भी महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।
श्रीमती माला श्रीवास्तव ने एम सैण्ड की विशेषताओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि एम सैण्ड से तात्पर्य कृत्रिम बालू से है जो स्वस्थाने चट्टान / ओवरबर्डन को पीस कर उत्पादित किया जाता है। नेशनल सैण्ड माइनिंग प्रेमवर्क 2018 एवं भारतीय मानक ब्यूरो (IS:383-2016) के अनुसार एम सैण्ड की रासयनिक विशिष्टताएँ एवं स्ट्रेंथ नदी से प्राप्त बालू के समान होती है एवं इसका अनुप्रयोग भी समान प्रकार से किया जा सकता है। नदी से प्राप्त बालू में मिट्टी व सिल्ट की मात्रा लगभग 0.45 प्रतिशत होती है, जबकि एम सैण्ड में यह लगभग 0.2 प्रतिशत है। नदी से प्राप्त बालू में जल अवशोषण 1.15 प्रतिशत होता है, जबकि एम सैण्ड में यह लगभग 1.6 प्रतिशत है। एम सैण्ड से बने कंक्रीट में बॉड स्ट्रेंथ भी मार्जिनली अधिक होती है।नदी से प्राप्त बालू की तुलना में एम सैण्ड से बने मोर्टार में कम्प्रेसिव स्ट्रेंथ अधिक होती है।
प्रदेश में एम सैण्ड को बढ़ावा देने से पर्यावरण एवं नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र को बिना नुकसान पहुंचाये सतत् विकास किया जाना है, तथा नदी तल से प्राप्त होने वाली बालू की सीमित मात्रा और इसकी बढ़ती माँग के दृष्टिगत एम सैण्ड को नदी तल से प्राप्त होने वाली बालू के विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जाना है । उद्योग/सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग सेक्टर के अन्तर्गत एम सैण्ड यूनिट स्थापित करने हेतु प्रोत्साहन के माध्यम से रोजगार के अवसरों व आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्यों की भी पूर्ति होगी । एम सैण्ड नीति-2024 के अनुसार एम सैण्ड उत्पादन इकाईयों को उ०प्र० सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम प्रोत्साहन नीति, 2022 /उ०प्र० औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति, 2022 (यथा संशोधित) के अर्न्तगत नियमानुसार औद्योगिक इकाई के रूप में मान्यता प्राप्त होगी।