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सहमति से लंबे समय तक चले संबंध को बलात्कार नहीं माना जा सकता : इलाहबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

सहमति से लंबे समय तक चले संबंध को बलात्कार नहीं माना जा सकता : इलाहबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला



इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बलात्कार और जबरन वसूली के आरोपी शके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया, यह रेखांकित करते हुए कि 12 साल से अधिक समय तक चलने वाले सहमति से बने रिश्ते को केवल शादी करने के वादे के उल्लंघन के आधार पर बलात्कार नहीं माना जा सकता। न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने यह फैसला सुनाया, जिसमें सहमति की कानूनी व्याख्या और झूठे बहाने के तहत यौन शोषण के आरोपों पर दीर्घकालिक संबंधों के प्रभाव पर महत्वपूर्ण स्पष्टता प्रदान की गई। यह निर्णय भारतीय कानून में सहमति से यौन संबंध और बलात्कार के बीच अंतर को परिभाषित करने में एक महत्वपूर्ण क्षण है।


न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने यह निर्णय श्रेय गुप्ता की याचिका पर दिया। कोर्ट ने सहमति की कानूनी व्याख्या और झूठे बहाने के तहत यौन शोषण के आरोपों पर लम्बे समय तक संबंधों के प्रभाव पर भारतीय कानून में सहमति से यौन संबंध और रेप के बीच अंतर को परिभाषित कर याची को राहत दी तथा उसके खिलाफ चल रही आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया। श्रेय गुप्ता ने अपने खिलाफ दाखिल आरोप पत्र को रद्द करने की मांग की थी। यह आपराधिक कार्यवाही 21 मार्च 2018 को शिकायतकर्ता की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी से उत्पन्न हुई थी। प्राथमिकी में याची पर आईपीसी की धारा 376 एवं 386 के तहत रेप और जबरन वसूली का आरोप लगाया गया था।


मुरादाबाद की शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि याची ने उसके पति के गंभीर रूप से बीमार होने के दौरान उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की शुरुआत की और उसके पति की मृत्यु के बाद उससे शादी का वादा किया। उसके अनुसार उसके पति के गुजर जाने के बाद भी यह रिश्ता जारी रहा। बाद में याची ने 2017 में दूसरी महिला से सगाई कर ली।