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सुल्तानियां रईस ब्रांड ऑयल कम्पनी से स्वास्थ्य हानिकारक तेल की बड़े पैमाने पर हो रही सप्लाई

सुल्तानियां रईस ब्रांड ऑयल कम्पनी से स्वास्थ्य हानिकारक तेल की बड़े पैमाने पर हो रही सप्लाई

 


सुल्तानियां रईस ब्रांड ऑयल कम्पनी से स्वास्थ्य हानिकारक तेल की बड़े पैमाने पर हो रही सप्लाई

मिठाई और नमकीन आदि में धड़ल्ले से हो रही मिलावट

वीरेंद्र कुमार राव, बहराइच। काफी अर्से से जिले में खाद्य पदार्थों,रिफाइंड व सरसों के तेल आदि की धड़ल्ले से खुलेआम  मिलावट कर लोगों के स्वास्थ्य से जान लेवा खिलवाड़ होने के बाद भी खाद्य अधिकारी की नजर में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है।

आपको बताते चलें कि गोंडा रोड नगरौर स्थित सुल्तानिया ट्रेडिंग नाम से रजिस्टर्ड फर्म से वर्षों से किए जा रहे राइस ब्रांड तेल की सप्लाई को लेकर लगातार हमारे संवाददाता के संज्ञान में मामले को लाया जा रहा था। जिस बात को लेकर जब हमारे संवाददाता द्वारा फोन पर फर्म के मालिक से कुछ सवाल पूंछे गए तो उन्होंने जवाब देने के बजाय कहा कि परसों आकर हमसे मिल लीजिए। और जब खाद्य अधिकारी से मिलकर बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभी दिसंबर माह में मैंने उनके यहां का नमूना लिया है। 

अगर उनके यहां की रिपोर्ट निगेटिव आई तो मैं इनका लाइसेंस रद्द कर दूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि आज के दौर में सबसे ज्यादा मिलावट सरसों के तेल में ही हो रहा है। क्योंकि वह महंगा होता है और महंगी चीजों में सस्ती चीज मिलाई ही जाएगी जो कि हर जगह होता है। क्योंकि माल को भी प्योर बनाना होता है,और सरसों का तेल महंगा होने से ये लोग नहीं बेंच पाएंगे।और जो सरसों का तेल खाने वाले लोग हैं वे ब्रांड देखकर ही खरीदते हैं। उन्होंने बताया कि मिलावटखोर 30% सरसों के तेल में 70%पाम ऑयल आदि के साथ एसेंस मिला कर  सरसों के तेल की खुशबू तो ला देते हैं लेकिन सरसों तेल की मात्रा कम होने के कारण तेल का ओरिजिनल बेस नहीं ला पाते। यह लोग अगर इतना महंगा तेल बनाएंगे तो न ही यह तेल बन पाएंगे और न ही इनका तेल कोई खरीदेगा।

 उन्होंने रिपीट करते हुए बताया कि मैं खुद दो बार नमूना के लिए उक्त स्थल पर गया हूं तो मालिक कहने लगे कि मुझे हार्ट अटैक आ जाएगा, मेरी तबीयत खराब हो जाएगी,तो मैंने कहा मैं आपसे नहीं आपके बेटे से बात करूंगा, आप आराम से बैठिए। मैंने यह भी कहा कि अगर मैं सैंपल आपकी यूनिट से न भी लूं तो सैंपल मुझे मार्केट से भी मिल जाएगा। मैने महेश्वरी ट्रेडर्स से भी सैंपल लिया है। मालूम हो कि उक्त फर्म में पूर्व में भी तेल में मिल रही शिकायतों को लेकर कई बार छापे पड़ चुके हैं। वे बताते हैं कि मैं जबसे जिले में आया हूं अल्प समय में रिकॉर्ड सैंपल ले चुका हूं,लेकिन जांच रिपोर्ट की बात पूछने पर सही जवाब नहीं दे पाते। 

जबकि लिए गए सैंपल को फ्रीजर बॉक्स में जांच हेतु ले जाया जाता है जिसमें आइस क्यूब भी डाले जाते हैं लेकिन सफर लंबा होने के कारण आइस क्यूब के रास्ते में ही गल जाने की संभावना बताई जाती है। इसीलिए छापे के दौरान लिए गए सैंपल की बात तो धड़ल्ले से प्रसारित करवाई जाती है लेकिन ज्यादातर मामलों में रिपोर्ट सामने नहीं आती। ऐसे में जिसकी वसूली नहीं हो पाती उस मामले को कोर्ट भेज दिया जाता है। क्योंकि विभाग द्वारा सैंपलिंग भेजने की व्यवस्था को देखकर रिपोर्ट की पॉजिटिव रिजल्ट आने की बहुत कम ही संभावना होती है।

 ऐसे में जब खाद्य अधिकारी को सब कुछ पहले से ही मालूम है तो फिर जांच के नाम पर परोक्ष रूप से मिलावट खोरों को बचने का मौका क्यों दिया जा रहा है। सवाल यह भी है कि खाद्य अधिकारी के रूम से सैंपल रखने वाले हटाए गए फ्रीजर किस हालत में हैं? जबकि खाद्य व तरल पदार्थों की सैंपलों को फ्रीजर में ही सुरक्षित रखा जा सकता है। इसी क्रम में शहर सहित ग्रामीण इलाकों में तमाम तरह की नमकीन आदि की फैक्ट्रियां चल रही है, जहां से वसूली की बात भी बताई जा रही है।