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विकासशील देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और विकास को सुनिश्चित करे संयुक्त राष्ट्र

विकासशील देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और विकास को सुनिश्चित करे संयुक्त राष्ट्र

 


विकासशील देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों और विकास को सुनिश्चित करे संयुक्त राष्ट्र

 डॉ. फैजान अजीजी ने संयुक्त राष्ट्र की बैठक में प्रमुख मुद्दे उठाए 

मुंबई  पिछले साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक बैठक में सभी देशों ने सर्वसम्मति से 2030 संयुक्त राष्ट्र एजेंडा, विशेषकर सतत विकास को वैश्विक स्तर पर लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने इसे लागू करने के लिए अपने सलाहकारों और अनुमोदित संगठनों और दुनिया के विभिन्न देशों को न्यूयॉर्क स्थित अपने मुख्यालय में आमंत्रित किया।जिस पर संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे को लागू करने और सहयोग प्रक्रिया को मजबूत करने में आने वाली समस्याओं पर चर्चा की गई और दुनिया और लोगों को प्रभावित करने वाली कई समस्याओं और भविष्य को कैसे बेहतर बनाया जाए, इस पर चर्चा की गई। 

मुंबई से डॉ. फैज़ान अज़ीज़ी, जो संयुक्त राष्ट्र में उनके संगठन के प्रधान प्रतिनिधि  हैं, ने वर्तमान स्थिति और उससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं और भविष्य के सुधार पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। जिसमें उन्होंने विशेष रूप से कहा कि विकासशील देशों की सरकार में संकीर्णता के कारण अल्पसंख्यकों के अधिकारों को नष्ट किया जा रहा है और उनके विकास की क्रूर तरीके से उपेक्षा की जा रही है। 

इन क्षेत्रों को संयुक्त राष्ट्र की योजनाओं से दूर रखा जा रहा है और अगर कोई सरकार के अन्याय और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसे कई तरह से परेशान किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र को ऐसी चिंताओं पर ध्यान देना चाहिए और देशों से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और विकास पर प्रतिक्रिया देने के लिए कहना चाहिए। दुनिया में बढ़ते अवैध युद्ध, जिसमें अंतरराष्ट्रीय युद्ध और मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन, विशेष रूप से गाजा और इसका समर्थन करने वाले देशों का विनाश, संयुक्त राष्ट्र द्वारा लिया जाना चाहिए, अन्यथा दुनिया और मानवता की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।

शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों के निजीकरण से आम और गरीब लोगों की पहुंच कम हो रही है। इसके अलावा सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरण, रोजगार और समानता आदि पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई, जिसे तैयार करने में सामाजिक, आर्थिक, कानूनी और शैक्षणिक क्षेत्र से जुड़े लोगों से सलाह ली गई। इसमें भारतीय योजना आयोग के पूर्व सदस्य एवं मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. बालचंद्र मुंगेरकर, प्रो. हनीफ लकड़ावाला आदि शामिल थे। डॉ. अज़ीज़ी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र एक और ऐसी बैठक आयोजित करने जा रहा है जिसमें यह बैठक उन सभी का आधार है जो अगली बैठक और संयुक्त राष्ट्र 2030 एजेंडा के कार्यान्वयन को निर्धारित करेगी।

 इस बैठक की अध्यक्षता UN ECOSOC के अध्यक्ष श्री बॉब रॉयर ने की इसके अलावा इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र के महत्वपूर्ण जिम्मेदार लोग भी मौजूद थे, जिनसे डॉ. फैजान अजीजी ने सीधी बातचीत की, जिस पर सभी ने, खासकर सऊदी अरब और चीन के प्रतिनिधियों ने मामले की गंभीरता को समझाते हुए अपना पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया।