
ई_रिक्शा को लेकर मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी का फरमान नहीं मानते संबंधित अधिकारी
ई_रिक्शा को लेकर मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी का फरमान नहीं मानते संबंधित अधिकारी
एआरटीओ कार्यालय में दलाल से ज्यादा अधिकारी हैं जिम्मेदार
वीरेंद्र कुमार राव, बहराइच। इन दिनों अवैद्य ई _रिक्शा,बस व टैंपो को लेकर जहां पूरे जनपद में कोहराम मचा है वहीं जिम्मेदारों की अवैद्य हरकतों ने जिलेवासियों को सुलभ यातायात व्यवस्था से वंचित कर रखा है।
हाल यह है कि सीएम व परिवहन आयुक्त के निर्देश के बावजूद दो वर्षों में ई_रिक्शों के फीडर रूट तय नहीं हो पा रहे।अप्रैल माह में भी ई_रिक्शा सत्यापन का अभियान काफी धीमा है।हाईवे व प्रमुख मार्गो पर ई_रिक्शा संचालन पर रोक के निर्देशों का पालन नहीं हो पा रहा है।परिणामस्वरूप
ई_रिक्शों से बढ़ती दुर्घटनाओं व जाम के झाम से निजात नही मिल रही। सीएम का एक अप्रैल से एक माह तक का ई रिक्शा सत्यापन अभियान की रफ्तार भी काफी धीमी है।जबकि दो वर्ष पूर्व सीएम योगी आदित्यनाथ, परिवहन आयुक्त ने हाईवे व प्रमुख मार्गो पर ई रिक्शा संचालन रोक व फीडर रूट चिन्हित करने के फरमान जारी किए थे।लेकिन जिले में वन वे रूट का पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया।और दो वर्ष बाद भी फीडर रूट चिन्हित नही हो सके है।
मालूम हो कि छोटी दूरी को जब ई_ रिक्शा वजूद में आए तो इससे लोगों को कम दूरी के सफर में आराम मिल रहा था।लेकिन जब ई_रिक्शा की जिले में भरमार हुई तो लोगों के लिए यही परेशानी का सबब बन गया है। ई_ रिक्शों से दुर्घटनाओं के बढ़ते ग्राफ ने भी चिंताओं को बढ़ाया है।हाथ रिक्शा भी अब नाम मात्र के ही दिखाई पड़ते हैं।जैसे जिले में यातायात माफिया का एक नया रूप सामने आया है। क्योंकि जिला मुख्यालय हो या तहसीले, कस्बे हों या गांव पूंजीपतियों ने रिक्शे खरीद कर किराए पर चलवाना शुरू कर रखा है। भारी भरकम आय के बावजूद यह आयकर की चोरी कर रहे है। आयकर विभाग विभाग भी इस पर ध्यान नही दे रहा। दूसरी ओर ऐसे ई_रिक्शों को तमाम अनट्रेंड चालक, अवयस्कों द्वारा चलाया जा रहा है।
देखा जाय तो एक वर्ष के भीतर ई_रिक्शों से लगभग चार दर्जन से अधिक हादसे हुए हैं। कैसरगंज इलाके में विगत वर्ष एक किशोरी के अपहरण की चर्चित घटना के बाद जिले में बड़ा अभियान चलाकर ऐसे ई रिक्शा पर कार्यवाई की गई थी। उसके बाद हालात पुराने ढर्रे पर आ गए। शहर में बढ़ते जाम से हलकान प्रशासन ने वन वे रूट ई रिक्शा संचालन की शुरुआत 15 अगस्त से कराई थी। फिर भी जाम का झाम कम नही हुआ। वजह हाईवे व प्रमुख मार्गो पर ई_रिक्शा संचालन प्रशासन रूकवाने में नाकाम रहा है। यही कारण है कि दो वर्ष में भी फीडर लिंक रूट तय नही हो सके है। बाराबंकी, सीतापुर, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, लखीमपुर जिले तक के ई रिक्शा, आटो, मैजिक आदि वाहन वहां से सवारियां ढो कर जिले में लाए जा रहे हैं। बेहिसाब ई_रिक्शों के बावजूद एक भी चार्जिंग प्वाइंट का न होना खुद बखुद जिम्मेदारों की भूमिका को बयां कर रहा है।परिवहन विभाग में पंजीकृत ई_रिक्शों से अधिक ई_रिक्शे सभी इलाकों में खुलेआम फर्राटे भर रहे है।बावजूद जिला मुख्यालय में ही अभी तक एक भी चार्जिंग प्वाइंट नही लगवाए गए। अब सवाल यह भी उठता है कि जितने ई_रिक्शा पंजीकृत है।उनमें से कितने बिजली उपभोक्ताओं ने अपने कनेक्शन को अपग्रेड कराया है?जबकि एक ई_रिक्शा की चार्जिंग मे लगभग 67 रूपये खर्च आता है।यदि दस हजार ही ई_रिक्शा माने जाए,तो 6. 7 0 लाख की रोजाना बिजली खपत होती है।हालांकि जिलाधिकारी मोनिका रानी ने कई बार बिजली महकमे को ई रिक्शा चार्जिंग के स्रोत की जांच व गड़बड़ी मिलने पर कार्यवाई के निर्देश दिए गए,बावजूद विभागीय उदासीनता के कारण कोई कार्यवाई नही हुई।और न ही ई_रिक्शा का कोई रूट ही निर्धारित हुआ।
जिला मुख्यालय हो या तहसील मुख्यालय, कस्बे हो या गांव इनके फर्राटे भरने के इलाके भी निर्धारित नही है। बहराइच लखनऊ, बहराइच सीतापुर, बहराइच गोंडा, बहराइच बलरामपुर, बहराइच कर्नेलगंज, बहराइच जमुनहा, बहराइच भिनगा, बहराइच रूपईडीहा आदि हर मार्ग पर भोर होने से देर रात तक ई_रिक्शा का आवागमन नहीं रुकता।अभी गत दिनों पूर्व डग्गामार वाहनों से रोडवेज को हो रही हानि के चलते रोडवेज बस चालकों ने दो घंटे तक चक्का जाम किया था। पूर्व एसपी वृंदा शुक्ला ने अगस्त माह से ई_रिक्शा को वन वे ट्रैफिक रूट निर्धारित किया था। उसके बावजूद जाम के हालात कम नही हुए। जब तक हर इलाके के ई_ रिक्शा को चिन्हित कर उनके रूट निर्धारित नही होते तब तक न जाम के झाम से मुक्ति मिलती दिखाई दे रही और न ही दुर्घटनाए ही थमेगी।